Tuesday, December 5, 2017

भरोसा हो तो किस पर हो सभी इक जैसे दिखतें हैं



किसको आज फुर्सत है किसी की बात सुनने की
अपने ख्बाबों और ख़यालों  में सभी मशगूल दिखतें हैं

सबक क्या क्या सिखाता है जीबन का सफ़र यारों
मुश्किल में बहुत मुश्किल से अपने दोस्त दिखतें हैं

क्यों  सच्ची और दिल की बात ख़बरों में नहीं दिखती
नहीं लेना हक़ीक़त से  क्यों  मन से आज लिखतें हैं

धर्म देखो कर्म देखो अब असर दीखता है पैसों का
भरोसा हो तो किस पर हो सभी इक जैसे दिखतें हैं

सियासत में न इज्ज़त की ,न मेहनत की  कद्र यारों
सुहाने स्वप्न और ज़ज्बात यहाँ हर रोज बिकते हैं

दुनिया में जिधर देखो हज़ारों रास्ते दीखते
मंजिल जिनसे मिल जाये बह रास्ते नहीं मिलते


भरोसा हो तो किस पर हो सभी इक जैसे दिखतें हैं

मदन मोहन सक्सेना

1 comment:

  1. भरोसा हो तो किस पर हो सभी इक जैसे दिखतें हैं
    सच कहा आपने फिर भी सोच समझकर किसी न किसी पर तो भरोसा करना ही पड़ता है
    बहुत सुन्दर

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