Monday, January 23, 2017

मैं ,शेर और साहित्यपीडिया भाग तीन




हमेशा साथ चलने की दिलासा हमको दी जिसने
बीते कल को हमसे बो अब चुराने की बात करते हैं
http://wp.me/p7uU2K-U6


गीत ग़ज़ल जिसने भी मेरे देखे या सुने
तब से शायर बह हमको बताने लगे
हाल देखा मेरा तो दुनिया बाले ये बोले
मदन हमको तो दुनिया से बेगाने लगे
http://wp.me/p7uU2K-NO


मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें
http://wp.me/p7uU2K-RM


हर कोई मिला करता बिछड़ने को ही जीबन में
जीबन के सफ़र में जो उन्हें अपना बना लो तुम
http://wp.me/p7uU2K-RO


समय कैसे जाता समझ मैं ना पाता
अब समय को चुराने लगी जिंदगी है
कभी ख्बाब में तू हमारे थी आती
अब सपने सजाने लगी जिंदगी है
http://wp.me/p7uU2K-RQ



 मैं ,शेर और साहित्यपीडिया
 भाग तीन
मदन  मोहन सक्सेना

मैं शेर और साहित्य पीडिया भाग दो


 मैं शेर और साहित्य पीडिया भाग दो



ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
http://wp.me/p7uU2K-1q1

अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
http://wp.me/p7uU2K-1q1


ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल
http://wp.me/p7uU2K-1q1

क्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँ
जितना दर्द मिलता है ये उतना संभल जाता है ……
http://wp.me/p7uU2K-U1

किसको दोस्त माने हम और किसको गैर कह दें हम
जरुरत पर सभी का जब हुलिया बदल जाता है ….
http://wp.me/p7uU2K-U1

चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है
http://wp.me/p7uU2K-U1

किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे
जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है ..
http://wp.me/p7uU2K-U1

मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों
मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है .
http://wp.me/p7uU2K-U1


क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है
हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में
http://wp.me/p7uU2K-S2

एक जमी वख्शी थी कुदरत ने हमको यारो लेकिन
हमने सब कुछ बाट दिया मेरे में और तेरे में
http://wp.me/p7uU2K-S2

आज नजर आती मायूसी मानबता के चहेरे पर
अपराधी को शरण मिली है आज पुलिस के डेरे में
http://wp.me/p7uU2K-S2

बीरो की क़ुरबानी का कुछ भी असर नहीं दीखता है
जिसे देखिये चला रहा है सारे तीर अँधेरे में
http://wp.me/p7uU2K-S2

जीवन बदला भाषा बदली सब कुछ अपना बदल गया है
अनजानापन लगता है अब खुद के आज बसेरे में
 http://wp.me/p7uU2K-S2






मदन मोहन सक्सेना

मैं ,शेर और साहित्यपीडिया




 मैं ,शेर और साहित्यपीडिया


महकता है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
मुहब्बत को निभाने में फिर क्यों सारे झमेले हैं
http://wp.me/p7uU2K-1L5


गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते
जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है
http://wp.me/p7uU2K-1Bt


हर पल याद रहती है निगाहों में बसी सूरत
तमन्ना अपनी रहती है खुद को भूल जाने की
http://wp.me/p7uU2K-1w7


निगाहों में बसी सूरत फिर उनको क्यों तलाशे है
ना जाने ऐसा क्यों होता और कैसी बेकरारी है
http://wp.me/p7uU2K-1pe

इस कदर अनजान हैं हम आज अपने हाल से
हकीकत में भी ख्वावों का घेरा नजर आता है

ये दीवानगी अपनी नहीं तो और फिर क्या है मदन
हर जगह इक शख्श का मुझे चेहरा नजर आता है

http://wp.me/p7uU2K-1di






मदन  मोहन सक्सेना

Tuesday, January 10, 2017

मम्मी तुमको क्या मालूम

सुबह सुबह अफ़रा तफ़री में फ़ास्ट फ़ूड दे देती माँ तुम
टीचर क्या क्या देती ताने , मम्मी तुमको क्या मालूम

क्या क्या रूप बना कर आती ,मम्मी तुम जब लेने आती
लोग कैसे किस्से लगे सुनाने , मम्मी तुमको क्या मालूम

रोज पापा जाते पैसा पाने , मम्मी तुम घर लगी सजाने
पूरी कोशिश से पढ़ते हम , मम्मी तुमको क्या मालूम

घर मंदिर है ,मालूम तुमको पापा को भी मालूम है जब
झगड़े में क्या बच्चे पाएं , मम्मी तुमको क्या मालूम

क्यों इतना प्यार जताती हो , मुझको कमजोर बनाती हो
दूनियाँ बहुत ही जालिम है , मम्मी तुमको क्या मालूम

मम्मी तुमको क्या मालूम


मदन मोहन सक्सेना

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