Tuesday, September 20, 2016

आखिर कब तक हम सहें


आखिर कब तक  हम सहें

फिर एक बार देश ने आंतकी हमला झेला
फिर एक बार कई सैनिक शहीद हो गए
 फिर एक बार परिबारों ने अपनोँ  को खोने का दंश झेला
फिर एक बार गृह , रक्षा मंत्री ने घटना स्थल का दौरा किया
फिर एक बार मंत्रियों ने प्रधान मंत्री को रिपोर्ट दी
फिर एक बार हाई लेवल मीटिंग की गयी  

फिर एक बार प्रधान मंत्री ने राष्ट्रपति को अबगत कराया
फिर एक बार सभी दलों ने घटना की निंदा की
फिर एक बार मीडिया में चर्चा हुयी
फिर एक बार पाक को अलग थलग करने की बात की गयी
फिर एक बार पाक से ब्यापारिक ,द्विपक्षीय रिश्तें ख़त्म करने की धमकी दी गयी
फिर एक बार पाक से ट्रेन और बस सेवा बंद करने की बात की गयी
फिर एक बार प्रधान मंत्री ने देश को भरोसा दिलाया कि  गुनाहगार को बख्शा नहीं जायेगा
और
फिर
फिर फिर
फिर फिर फिर
शहीद परिबारों ने कठोर कार्यबाही की मांग की।



आखिर कब तक  हम सहें

मदन मोहन सक्सेना

Monday, September 12, 2016

देखते है कि आपका मुँह खुलेगा भी या नहीं





 
होली के अबसर पर 
पानी की बर्बादी की बात करने बाले 
शिवरात्रि पर शिव पर दूध अर्पित करने को 
कुपोषण से जोड़ने बाले 
और  दूध की कमी का रोने बाले 
प्रकाश उत्सब पर पर्याबरण  की चिंता करने बाले 
तथाकथित  बुद्धिजीबी लोग 
कल बकरीद आने बाली है 
हम भी 
आपके मुख से 
जीब हत्या और  
सही क़ुरबानी के मायने 
क्या हैं 
इस पर आपके बिचार जानने को इच्छुक हैं 
देखते है कि 
आपका  मुँह  खुलेगा भी या नहीं 



मदन  मोहन सक्सेना