Sunday, January 24, 2016

गणतन्त्र दिवस , देश और हम






कल गणतंत्र दिवस पर्ब है
सरकारी अमला जोर शोर से तैयारी कर रहा है
स्कूल के बच्चे और टीचर अपने तरह से जुटे हुए हैं गणतन्त्र दिवस पर्ब मनाने के लिए
कुछ लोग छुट्टी जाकर
लॉन्ग वीकेंड को मनाने को लेकर उत्साहित हैं
छोटी मुनिया , छोटू
ये सोच कर बहु खुश है कि
पेपर और प्लास्टिक के झंडे से अधिक पैसे मिलेंगें
सोसाइटी ऑफिस के लोग
देश भक्ति से युक्त गानो की सी डी और ऑडियो को खोजने में ब्यस्त हैं
कि पुरे दिन इन गानो के बजाना होगा
बच्चे लोग इस बात से खुश है कि
कल स्कूल में पढ़ाई नहीं होगी
ढेर सारा मजा और  मिठाई अलग से मिलेगी
लेकिन
भारत  काका इस बात से खिन्न हैं
कि अपनी पूरी जिंदगी सेना में खपाने के बाद भी
सरकार उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है (एक रैंक एक पेंशन)
अपनी आँख और खूबसूरती खो चुकी
भारती ये सोचकर परेशान है कि
आधी आबादी को जीने का बराबरी का हक़ कब मिलेगा
और मिलेगा भी या नहीं
कुछ आशाबादी लोग
अब भी इस आशा में है कि
कल से शायद
भगबान
कुछ ऐसा कर दें कि
उनकी जिंदगी में अच्छे दिन आ जाये
और बे भी
आजाद भारत
के
आजाद नागरिक के रूप में
अपना जीबन
बेहतर ढंग से जी सकें 



गणतंत्र दिवस (२६ जनबरी ) की हार्दिक शुभकामनायें)

Tuesday, January 19, 2016

तुम्हारी याद



तुम्हारी याद


जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है

कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है
भरी दुनियां में बिन तेरे नहीं कोई सहारा है

मुक्कद्दर आज रूठा है और किस्मत आजमाती है
नहीं अब चैन दिल को है न मुझको नींद आती है..

कदम बहकें हैं अब मेरे ,हुआ चलना भी मुश्किल है
ये मौसम है बहारों का , रोता आज ये दिल है

ना कोई अब खबर तेरी ,ना मिलती आज पाती है
हालत देखकर मेरी ये दुनिया मुस्कराती है

बहुत मुश्किल है ये कहना किसने खेल खेला है
उधर तन्हा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है

पाकर के तन्हा मुझको उदासी पास आती है
सुहानी रात मुझको अब नागिन सी डराती है



मदन मोहन सक्सेना