समय समय की बात है समय समय का फेर
पशुओं को भी लग रहा देर सही ना अंधेर
बात बात पर लालूजी हँसते और मुसकाय
सजा सुनी ज्यों ही तभी दिल बैठा सा जाय
पहले लालू जी चले और पीछे चले मसूद
सख्ती से अब कोर्ट की कम होने लगा बजूद
चारा का तो हो गया कोयला का क्या होय
बोया (खाया )जैसा आपने फल भी बैसा होय
जनता की ये जीत है या भ्रष्टाचार की हार
जुगत मिलाने के लिए फिर नेता अब तैयार
मदन मोहन सक्सेना .