मैं , लेखनी और ज़िन्दगी
Writer and Poet. Play with words to express feelings.
Monday, July 9, 2012
मुक्तक
इनायत जब खुदा की हो तो बंजर भी चमन होता
खुशियाँ रहती दामन में और जीवन में अमन होता
मर्जी बिन खुदा यारों तो जर्रा भी नहीं हिलता
अगर बो रूठ जाए तो मुयस्सर न कफ़न होता
मुक्तक प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना
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