Sunday, November 25, 2012

वक़्त





वक़्त की साजिश समझ कर, सब्र करना सीखियें
दर्द से ग़मगीन वक़्त यू ही गुजर जाता है

जीने का नजरिया तो, मालूम है उसी को बस
अपना गम भुलाकर जो हमेशा मुस्कराता है

अरमानो के सागर में ,छिपे चाहत के मोती को
बेगानों की दुनिया में ,कोई अकेला जान पाता है

शरीफों की शरारत का नजारा हमने देखा है
मिलाता जिनसे नजरें है ,उसी का दिल चुराता है

न जाने कितनी यादो के तोहफे हमको दे डाले
खुदा जैसा ही बो होगा ,जो दे के भूल जाता है

मर्ज ऐ इश्क में बाज़ी लगती हाथ उसके है
दलीलों की कसौटी के ,जो जितने पार जाता है

मदन मोहन सक्सेना

6 comments:

  1. बढ़िया पूरी पोस्ट है, सीधे सरल सँदेश |
    हे मोहन आभार अब, करता रविकर पेश ||

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  2. आज 28/11/2012 को आपकी यह पोस्ट (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  3. सुन्दर रचना

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  4. श्री मदन मोहन सक्सेना जी , काब्य सरोवर के अन्तर्गत आप द्वारा प्रस्तुत की गई काव्य रचना "वक्त"बहुत ही मनमोहक लगी । वक्त की साज़िश समझ कर सब्र करना सीखिये , दर्द से गमगीन वख यूँ ही गुज़र जाता है। वक्त तो वक्त की पहचान करा देता है , अपनें-पराये का भी फरमान सुना देता है । न तो वक्त बुरा होता है और न ही वक्त अच्छा होता है । हमारे आमाल अच्छे हैं या बुरे वक्त तो उसी के साथ बदल जाता है॥आपकी प्रस्तुति शिक्षाप्रद , प्रेरणादायक और अनुकरणीय है जितनी तारीफ करूँ ,उतनी थोड़ी है॥ आशीर्वाद ॥ आपका सुहृदयी = हरिचन्द स्नेही , प्रधान आर्य समाज शान्ति नगर सोनीपत [हरियाणा] -131001

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  5. श्री मदन मोहन सक्सेना जी , काब्य सरोवर के अन्तर्गत आप द्वारा प्रस्तुत की गई काव्य रचना "वक्त"बहुत ही मनमोहक लगी । वक्त की साज़िश समझ कर सब्र करना सीखिये , दर्द से गमगीन वख यूँ ही गुज़र जाता है। वक्त तो वक्त की पहचान करा देता है , अपनें-पराये का भी फरमान सुना देता है । न तो वक्त बुरा होता है और न ही वक्त अच्छा होता है । हमारे आमाल अच्छे हैं या बुरे वक्त तो उसी के साथ बदल जाता है॥आपकी प्रस्तुति शिक्षाप्रद , प्रेरणादायक और अनुकरणीय है जितनी तारीफ करूँ ,उतनी थोड़ी है॥ आशीर्वाद ॥ आपका सुहृदयी = हरिचन्द स्नेही , प्रधान आर्य समाज शान्ति नगर सोनीपत [हरियाणा] -131001

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